रविवार, 24 अगस्त 2008

लघु पत्रिका केन्द्र- जोकहरा

लघु पत्रिका (लिटिल मैगजीन) आन्दोलन मुख्य रूप से पश्चिम में प्रतिरोध (प्रोटेस्ट) के औजार के रूप में शुरू हुआ था. यह प्रतिरोध राज्य सत्ता, उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद या धार्मिक वर्चस्ववाद– किसी के भी विरुद्ध हो सकता था. लिटिल मैगजीन आन्दोलन की विशेषता उससे जुडे लोगों की प्रतिबद्धता तथा सीमित आर्थिक संसाधनों में तलाशी जा सकती थी. अक्सर बिना किसी बडे औद्योगिक घराने की मदद लिये बिना, किसी व्यक्तिगत अथवा छोटे सामूहिक प्रयासों के परिणाम स्वरूप निकलने वाली ये पत्रिकायें अपने समय के महत्वपूर्ण लेखकों को छापतीं रहीं हैं. भारत में भी सामाजिक चेतना के बढने के साथ-साथ बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लघु पत्रिकायें प्रारम्भ हुयीं. 1950 से लेकर 1980 तक का दौर हिन्दी की लघु पत्रिकाओं के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण रहा. यह वह दौर था जब नई- नई मिली आजादी से मोह भंग शुरू हुआ था और बहुत बडी संख्या में लोग विश्वास करने लगे थे कि बेहतर समाज बनाने में साहित्य की निर्णायक भूमिका हो सकती है. बेनेट कोलमैन & कम्पनी तथा हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड की पत्रिकाओं-धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, सारिका, कादम्बनी, दिनमान, और माधुरी जैसी बडी पूंजी से निकलने वाली पत्रिकाओं के मुकाबले कल्पना, लहर, वाम, उत्तरार्ध, आलोचना, कृति, क ख ग, माध्यम, आवेश, आवेग, संबोधन, संप्रेषण, आरम्भ, ध्वज भंग , सिर्फ , हाथ, कथा, नई कहानियां, कहानी, वयं, अणिमा जैसी पत्रिकायें निकलीं जो सीमित संसाधनों , व्यक्तिगत प्रयासों या लेखक संगठनों की देन थीं. इन पत्रिकाओं का मुख्य स्वर साम्राज्यवाद विरोध था और ये शोषण, धार्मिक कठमुल्लापन, लैंगिक असमानता, जैसी प्रवृत्तियों के विरुद्ध खडी दिखायीं देतीं थीं. एक समय तो ऐसा भी आया जब मुख्य धारा के बहुत से लेखकों ने पारिश्रमिक का मोह छोडकर बडी पत्रिकाओं के लिये लिखना बन्द कर दिया और वे केवल इन लघु पत्रिकाओं के लिये ही लिखते रहे. एक दौर ऐसा भी आया जब बडे घरानों की पत्रिकाओं में छपना शर्म की बात समझा जाता था और लघु पत्रिकाओं में छपने का मतलब साहित्यिक समाज की स्वीकृति की गारंटी होता था. आज राष्ट्रीय एवं ग्लोबल कारणों से न तो लघु पत्रिकाएं निकालने वालों के मन में पुराना जोश बाकी है और न ही उनमें छपना पहले जैसी विशिष्टता का अहसास कराता है फिर भी लघु पत्रिकाओं में छपी सामग्री का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है . हिन्दी साहित्य के बहुत सारे विवाद, आन्दोलन, प्रवृत्तियों को निर्धारित करने वाली सामग्री और महान रचनायें इन लघु पत्रिकाओं के पुराने अंकों में समाई हुयीं हैं. इनमें से बहुत सारी सामग्री कभी पुनर्मुद्रित नहीं हुयीं. साहित्य के गंभीर पाठकों एवं शोधार्थियों के लिये इनका ऐतिहासिक महत्व है.
श्री रामानन्द सरस्वती पुस्तकालय ने इस महत्वपूर्ण खजाने को एक साथ उपलब्ध कराने के लिये अपने प्रांगण में वर्ष 2004-2005 में लघु पत्रिका केन्द्र की स्थापना की है. इस केन्द्र में 250 से अधिक लघु पत्रिकाओं के पूरे अथवा कुछ अंक उपलब्ध हैं. कोई भी शोधार्थी यहाँ पर आकर इस संग्रह की पत्रिकाओं का अध्ययन कर सकता है और आवश्यकता पडने पर फोटोकॉपी ले जा सकता है. पुस्तकालय शोधार्थियों के रुकने की निशुल्क व्यवस्था भी करता है. इस सम्बन्ध में कोई भी सूचना सुधीर शर्मा से टेलीफोन नम्बर- 05466-239615 अथवा 9452332073 से प्राप्त की जा सकती है.

Those who visited Library

Writers -

Trilochan Shastri, Kamleshwar , Namwar Singh, Shreelal Shukla, Vishnu Kant Shastri, Mamta Kalia, Ravindra Kalia, Se Ra. Yatri, Asgar Wazahat, Markandey, Neel Kant, Shekhar Joshi, Doodh Nath Singh, Neelabh, Parmanand Srivastava, Kedar Nath Singh, Kashi Nath Singh, Abid Surti, Namita Singh, Kunwar Pal Singh, Hari Pal Tyagi, Ramesh Upadhya, Avadhesh Pradhan, Madhu Kankaria, Lal Bahadur Verma, Harish Chandra Agrawal, Badri Nath ,Badri Narayan, Ganga Prasad Vimal, Vikas Narain Rai,Shambhoo Nath , Dhananjay, Shambhu Gupta, Arvind Tripathi, Akhilesh, Virendra Yadav, Shivmurti, Tejinder, Bharat Bhardwaj, Suraj Paliwal, Rajendra Rajan, Alpana Mishra,Rati Agnihotri, Sadhana Agrawal, Upendra Kumar, Kamala Prasad, Rajendra Sharma, P.N.Singh, Sri Prakash Shukla, Krishna Mohan, Shalendra Pratap Singh, Ajay Tiwari, Ram Kumar Krishak, Ramanika Gupta, Vachaspati, Kanwal Bharati, Bhagwan Das Morwal, Prem Pal Sharma, Shankar, Abhai, Narmadeshwar, Priya Darshan Malviya, Jai Prakash Dhoomketu Anil Rai, Chauthi Ram Yadav, Nirmala Putul, Mrityunjay, Prahlad Agrawal, Hariom, Yash Malviya, Rohini Agrawal, Vivek Nirala, Kripa Shankar Chaubey, Neelam Shankar Pandey, Rohitshva, Ravi Shankar Pandey, Ram Kamal Rai, Vasant Nirgune, and Prakash Tripathi.

Film/Theatre personalities

Devendra Raj Ankur, Shabana Azmi, Teejan Bai,Sagar Sarhadi, Surya Mohan Kulshreshth, Yugal Kishor, Jitendra Raghuvanshi, Sachin Tiwari, Mridula Bhardwaj, Vidhu Khare, Vijay Kumar, Sanskar Desai, Munni Gandharv, Gobind Yadav, Meeta Mishra, Shamshul Islam, Neelima , Abhishek Pundit, Mamata Pundit,

Social Activists-

Acharya Ram Murti, Teesta Sitalvad, Medha Patkar, Asgar Ali Engineer, Arundhati Dhuru,Roop Rekha Verma, Sandeep Pandey,Prof. Om Prakash Malviya, Prof. Deepak Malik, Nasiruddin, Prof.Ramesh Dikshit,Muniza, Naish, Shakeela, Sarvesh (photographer)