Sri Ramanand Saraswati Pustkalaya is situated at about 30 kilometers from Azamgarh on way to Gorakhpur.Important Bhojpuri speaking towns like Varanasi, Gorakhpur Azamgarh, Balia, Mau and Ghazipur are well within the reach of this library. During last one decade it has become a premier cultural centre of the country. This centre, apart from other activities, is also engaged in various community development projects. It has been involved in restoring the culture of book reading .Its efforts have specially helped the neo-literates.
श्री रामानन्द सरस्वती पुस्तकालय
श्री रामानन्द सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना, आजमगढ सॆ ग़ॉरखपुर जाने वाले मार्ग पर स्थित ग्राम जोकहरा मेँ सन 1993 मेँ पढने की सँस्कृति विकसित करने के लिए की गयी थी ! पिछले डॅढ दशकोँ मेँ यह सँस्था देश के एक मह्त्वपूर्ण साँस्कृतिक केन्द्र के रुप मेँ मान्यता प्राप्त कर चुकी हॆ ! दस ह्जार से अधिक पुस्तकोँ एवँ डेढ सौ से अधिक लघु पत्रिकाऑ के अँको क़ॆ संग्रह वाला यह पुस्तकालय देश के सबसे पिछडे इलाकोँ मेँ से एक मेँ स्थित हॆ ! अपनी सक्रिय उपस्थिति से इसने न सिर्फ आसपास के इलाके मेँ सामान्य लोगोँ मेँ पुस्तक पढने की सँस्कृति विकसित की हॆ बल्कि विशेष रुप से समाज के हाशिये पर उपस्थिति दर्ज कराने वाले तबकोँ- दलितोँ ,महिलाओँ और भूमिहीन परिवारोँ के बच्चोँ की पुस्तकोँ तक पहुँच सम्भव बनाई हॆ!
yeh ittphak hai ki maine 2 comments bhejen pr ek bhi receive nahi hua,blog hindi me bhi likha gaya yeh bahut hi SRSP KE LIYE ACHCHA HUA.padma rai aur sudheer sharma dono hi imandaar haath srsp ke saath hain,so iski fame international hogi hi hogi.meri bahut bahut badhaie.
जवाब देंहटाएंUdan Tashtari ने कहा…
जवाब देंहटाएंSahi hai. Bahut sarthak abhiyaan hai. Badhai evam shubhkamnayen is abhiyaan ko.
August 21, 2008 5:09 PM
दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…
जवाब देंहटाएंऐसे ही एक अभियान पर मेरी पुत्री पूर्वा थी। उस ने यही विद्या एक महिला को सिखाई थी। अब वह सुखी है, और उस का पति 'पतिनुमा प्राणी'।
August 21, 2008 7:49 AM
सार्थक प्रयास है, आजकल ऐसे कदम बहुत कम उठाये जाते हैं।
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